दुर्गा पूजा का मेला लगा हुआ था | आज मां की नौवें रूप की पूजा थीं | धर्मवीर कुमार अपनी पोती को दुर्गापूजा का मेला[..]
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रचनाएँ
18 अप्रैल , 2024
दुर्गा पूजा का मेला लगा हुआ था | आज मां की नौवें रूप की पूजा थीं | धर्मवीर कुमार अपनी पोती को दुर्गापूजा का मेला[..]
18 अप्रैल , 2024
बदनसीबों पर ये मौसम मेहरबां नहीं होते।
किसी के भी हमदर्द ये तूफान नहीं होते।
सारे फलक को अपना समझ के जी लेता हूं,
मैं[..]
2 अप्रैल , 2024
दोस्तों,
एक मौलिक ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों की हवाले,,,!!
ग़ज़ल
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"गहरे घाव मिले ज़िंदगी में हमें,
क्यूँ जीना फिर शर्मिंदगी में हमें।
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मस्त थे हम[..]
2 अप्रैल , 2024
रात के अंधेरें में ;
इतना सन्नाटा नहीं
जितना उसकी चुप्पी में हैं |
वह चुप हैं |
बस चुप हैं |
इसीलिए[..]
2 अप्रैल , 2024
दिल पर लगती है भाली
बात करे जब घरवाली
साली हँसकर दे दे तो
मीठी लगती है गाली
भरे हैं सब उनके बर्तन [..]
2 अप्रैल , 2024
यार जब से बे-हिजाबी हो गया
बादा-कश मैं और वो साक़ी हो गया
मयकदे जाएगा [..]
2 अप्रैल , 2024
अभी दिल में कोई हसरत नहीं है
महब्बत के लिए फ़ुर्सत नहीं है
हैं ज़िम्मेदारियाँ अफ़्ज़ूँ ये ऊपर
मैं हूँ[..]
2 अप्रैल , 2024
बयां अपने वो दर्द-ओ-ग़म नहीं करता
पिता दु:ख का कभी मातम नहीं करता
थिरकते थे सनम[..]
19 मार्च , 2024
परखचा ना कांच का समझें मुझे
आइना हूँ आइना समझें मुझे
जो रखे अहल-ए-वफ़ा मुझसे यहाँ
सिर्फ वो ही बावफ़ा समझें मुझे
मैं नहीं कोई असीरान-ए-वफ़ा
बेवफ़ा[..]
19 मार्च , 2024
कहीं पहले मैं रहता हूँ कहीं मैं बाद रहता हूँ
मैं बचपन की तरह बिल्कुल यहां आज़ाद रहताहूँ
मुझे पढ़कर भुलाना है नहीं आसाँ मिरे हमदम
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