मेरे दर्द पर मरहम न लगाया जाए,
अब मेरे नाम से मुझे न पुकारा जाए।
बह रहा हूँ आँसुओ के सैलाब में कहीं
बेवजह[..]
17 मई , 2023
मेरे दर्द पर मरहम न लगाया जाए,
अब मेरे नाम से मुझे न पुकारा जाए।
बह रहा हूँ आँसुओ के सैलाब में कहीं
बेवजह[..]
10 मार्च , 2023
कहीं हसरतों के दीप जले तो कही बुझ गयें
कभी चाहतों के हाथ बढ़े तो कभी रूक गयें
यूँ ही चलता रहा पल पल सफर[..]
9 मार्च , 2023
कहीं हसरतों के दीप जले तो कही बुझ गयें
कभी चाहतों के हाथ बढ़े तो कभी रूक गयें
यूँ ही चलता रहा पल पल सफर[..]
18 अक्टूबर , 2022
टूटा हुआ हूँ इतना बिखरा हूँ कांच जितना,
समेटोगे मुझे जितना चुभता रहूँगा उतना।
आईना था कभी तुम्हारा आज हूँ मै टुकड़ा ,
देखोगे मुझे जितना[..]
29 सितम्बर , 2022
न कह कर भी वो कुछ कह गये,
फिर भी हम सब शब्द सुन गये।
कांटो की चुभन मुद्दत तक रही,
आँखो के समन्दर तक सूख[..]
3 सितम्बर , 2022
बेटी! तुम अब अबलाओं की प्रतीक नही
घर की चारदीवारी में कैद निःशब्द नही
अब तुम अदम्य क्षमताओं की प्रशस्ति हो
तुम किसी पर बोझ[..]
28 अगस्त , 2022
टूट जाते है सभी कायदे कानून भी
जब बात है निज फायदे कानून की
हर वो बात मिथ्या बनावटी लगती है
जब हम बात करते[..]
13 अगस्त , 2022
जिन्दगी कही दूर छूट गयी है
किसी मोङ पर
कैलेन्डर के पन्ने पर कुछ लिखा है
अस्पष्ट लिखावट में
कुछ जानी पहचानी विशेष लिपि में
अधिक पढ़ें… from हिन्दी लेख, निबंध
25 जुलाई , 2022
दाग-ए-दिल
रंजिश-ए-बेजा न किया कीजिए,
हजूर प्यार से पेश आया कीजिए।
हम भी मुश्ताक है अल्फाज़ो के,
अपना हाल बयां किया कीजिए ।
जमाने की निगाहें टिकी है[..]
23 जुलाई , 2022
हरसिंगार झर रहा है
बरसों बाद जब मै
अपने गाँव से मिला तो
खुशबूओ से लगा
कोई इंतजार कर रहा है।
सुबह सुबह देखा
हरसिंगार के फूल[..]