बहुत दिन हो गए, कुछ सटीक लिख नहीं पा रहा था,
कई बार उठाई लेखनी हाथों में, पर लिख नहीं पा रहा था।
कुछ टूट[..]
28 अगस्त , 2022
28 अगस्त , 2022
बहुत दिन हो गए, कुछ सटीक लिख नहीं पा रहा था,
कई बार उठाई लेखनी हाथों में, पर लिख नहीं पा रहा था।
कुछ टूट[..]
31 जुलाई , 2022
शीर्षक : जिन्दगी फिर “जिन्दगी” बन चुकी थी
विधा : कविता
बरामदे में बैठा था उस दिन
जिन्दगी को निहार रहा था
बहुत दिनों बाद मिली[..]
18 जुलाई , 2022
शीर्षक : क्यों?
बेटी माँ से……..
माँ तू क्यों सदा घुट घुट कर रोती, क्यों सदा मन मसोस कर जीती?
ज़िन्दगी बची है दो चार दिन की,[..]
18 जुलाई , 2022
शीर्षक : खाली बोतलें
पानी की दो बोतलें
दोनों आधी आधी भरी हुई
और आधी खाली खाली
दोनों कर रही थी बातें
पहली वाली कुछ उदास[..]
18 जुलाई , 2022
मुकाम
ब्रह्मपुत्र के किनारे बैठा था उस दिन,
लहरों को निहार रहा था
नदी का बहाव बहुत तेज़ था
लहरों में उछाल भी बहुत था
किनारे[..]
3 जुलाई , 2022
शीर्षक : तारीख
विधा : कविता
तारीख, तारीख और बस तारीख,
तारीख ही तारीख,
ज़िन्दगी ज़िन्दगी न रही,
बन गई महज एक तारीख।
इतनी तारीखें हो[..]
22 जून , 2022
कविता शीर्षक : आज का अख़बार
लूटमार, अपहरण, तुष्टिकरण, चोरी, बलात्कार,
बस इन्हीं खबरों से बनता है आजकल अख़बार।
बचपन में पिताजी कहते थे मुझे,
“बेटा[..]
18 जून , 2022
कविता शीर्षक : अग्नि वीर
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ, चलो अग्निपथ पर,
उठो, बढ़ो, कदम रखो, चलो, कहलाओगे अग्नि वीर।
शुरुआत यह बदलाव की, आंधी यह परिवर्तन[..]
17 जून , 2022
हाल ही में श्री अश्विनी कुमार यादव जी की एक फेसबुक पोस्ट पढ़ी थी। उसके आधार पर ही यह कविता लिखी है “इच्छामृत्यु”
काल आया, जब[..]
10 मई , 2022
न रोंदना उन सूखे पत्तों को,
जो पड़े हुए हैं बेसहारा जमीन पर,
सूखे हुए, मुड़े हुए,
अपनी डाली से बिछड़ कर।
याद रखना एक[..]