दिल पर लगती है भाली
बात करे जब घरवाली
साली हँसकर दे दे तो
मीठी लगती है गाली
भरे हैं सब उनके बर्तन
लेकिन मेरे हैं ख़ाली
एक तरफ़ सूखे पत्ते
एक तरफ़ है हरियाली
साली जीजा को प्यारी
गोरी हो या फिर काली
बीवी कितनी हो सुंदर
भाती फिर भी हैं साली
विपिन दिलवरिया 'ओम'
मेरठ, उत्तर प्रदेश