रात के अंधेरें में ;
इतना सन्नाटा नहीं
जितना उसकी चुप्पी में हैं |
वह चुप हैं |
बस चुप हैं |
इसीलिए नहीं , कि
वह तुम्हारा विरोधी हैं |
वह तो इसीलिए चुप हैं;
क्योंकि कुछ कहना व्यर्थ हैं |
वह चुप हैं |
इसीलिए नहीं, कि
उसे शांति पसंद हैं,
या उसे बोलना पसंद नहीं हैं |
वह इसीलिए चुप हैं,
क्योंकि वह तुम्हारें स्वार्थ के बोल कों
पहचान चुका हैं |
वह चुप हैं |
इसीलिए नहीं, कि
वह तुम सें डरता हैं,
या फिर उसे तुम्हारी सत्ता का खौफ हैं |
वह तो इसीलिए चुप हैं ,
क्योंकि जिन आँखों को शर्मसार होना चाहिए ;
उन आँखों में गर्व हैं |
वह चुप हैं |
इसीलिए नहीं, कि
उसे समय की लाठी पर विश्वास हैं |
न ही उसे , खुद की तकदीर चमकने की आस हैं |
वह तो इसीलिए चुप हैं ,
क्योंकि वह अपने अनमोल जीवन को
बस यूँ ही जस-तस काट देना चाहता हैं |
वह चुप हैं |
इसीलिए नहीं, कि
उसके अंदर रूंदन हैं |
या फिर उसका हृदय व्यथित हैं |
वह तो इसीलिए चुप हैं ,
क्योंकि ये चुप्पी
अब उसकी आदत बन चुकी हैं |
वह चुप हैं |
बस चुप हैं |
उसकी चुप्पी का कोई अर्थ नहीं हैं |
वह बस चुप हैं |
शिखा ताँती