दोस्तों,
एक मौलिक ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों की हवाले,,,!!
ग़ज़ल
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"गहरे घाव मिले ज़िंदगी में हमें,
क्यूँ जीना फिर शर्मिंदगी में हमें।
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मस्त थे हम[..]
2 अप्रैल , 2024
दोस्तों,
एक मौलिक ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों की हवाले,,,!!
ग़ज़ल
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"गहरे घाव मिले ज़िंदगी में हमें,
क्यूँ जीना फिर शर्मिंदगी में हमें।
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मस्त थे हम[..]
30 जनवरी , 2022
तुम सपनो की उड़ान बन कर देखो,
फ़कत इक बार थोड़ा जी भर देखो।
तुम ही जवाब हो तुम ही सवाल हो,
मुझसे दिल इक बार[..]
30 जनवरी , 2022
पत्थर और पानी तेरी अजीब कहानी रे,
इक रोके है रस्ता तो दूजा दे जिंदगानी रे।
झर झर बहते झरने पत्थर के पहाड़ो से,
कल कल[..]