परखचा ना कांच का समझें मुझे
आइना हूँ आइना समझें मुझे
जो रखे अहल-ए-वफ़ा मुझसे यहाँ
सिर्फ वो ही बावफ़ा समझें मुझे
मैं नहीं कोई असीरान-ए-वफ़ा
बेवफ़ा[..]
19 मार्च , 2024
परखचा ना कांच का समझें मुझे
आइना हूँ आइना समझें मुझे
जो रखे अहल-ए-वफ़ा मुझसे यहाँ
सिर्फ वो ही बावफ़ा समझें मुझे
मैं नहीं कोई असीरान-ए-वफ़ा
बेवफ़ा[..]
19 मार्च , 2024
कहीं पहले मैं रहता हूँ कहीं मैं बाद रहता हूँ
मैं बचपन की तरह बिल्कुल यहां आज़ाद रहताहूँ
मुझे पढ़कर भुलाना है नहीं आसाँ मिरे हमदम
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19 मार्च , 2024
किसे कैसे बताऊं ज़िंदगी कैसे ये चलती है
मिरी ऐसी तबीअत है कभी गिरती सँभलती[..]
8 मार्च , 2024
अब वो महब्बत करने के क़ाबिल नहीं रहा
सब कहते हैं सीने में उसके दिल नहीं[..]
7 मार्च , 2024
नहीं दूजा ज़री’आ और न कोई भी बहाना है
उसी रस्ते से जाना है उसी[..]
7 मार्च , 2024
जो हो सच्चा ज़माने को वो बेईमान लगता है
फ़रिशता भी न जाने क्यों इन्हें शैतान लगता है
खिले हैं फूल[..]
7 मार्च , 2024
बढ़ रहे खर्चे कमाई नाम की है,
रोग ज्यादा और दवाई नाम की है।
रिश्ते नाते जा रहे हैं सब सिमटते,
घर[..]
7 मार्च , 2024
उछल उछल कभी इधर गया,
उछल उछल कभी उधर गया।
देख देख कर मेरी उछलने,
शर्म से मेंढक तो मर गया।
[..]
7 मार्च , 2024
फटी-सूखी धरती पर बैठा मानव
मेघा कों बुला रहा हैं |
उस सूखी डाल पर बैठा, काला कौवा
काल को बुला रहा हैं |
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7 मार्च , 2024
इक़ निशानी जो किसी की बाक़ी है,
अब भी आँखों में नमी सी बाक़ी है।
ज़ख्म काँटों से मिले जो भर गये,
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